बुधवार, 6 मई 2020

भ्रूण हत्या पर कविता Female Foeticide Poem

भ्रूण हत्या पर  कविता 


ओं   माँ   रखती    है   भ्रूण उदर में   ,पूरे   नौ   महीने   तक | 
साहस  ,उत्साह   ,उमंग   रखती  वह   ,पूरे   नौ   महीने तक || 

गर्भस्त   शिशु   है    कौन   ,ये   किंचित   उर   न   सोचती  है | 
बस   एक    सिवा   उसके   ,पूरा     परिवार     शशंकित   है || 

मन   में   सबके ही   प्रश्न   सदा ,इस  बात  के  उठते  रहते है | 
शिशु    है   ये   पुत्र   या   पुत्री ,सब    सदा   सोचते   रहते   है || 

किस   भॉँति  पता  हो  जाये  इसका ,हर  जुगत लगाते रहते है | 
इस   घोर   पाप   के   कर्म   तनिक ,ना  करने  से  वो डरते है || 

पर प्रश्न   यहाँ   ये   उठता   है ,क्यों   पता   लगाने की जल्दी है | 
शायद   तैयारी   हत्या  की  ,यदि  निकल  जाये   की   पुत्री  है || 

अब   बंद     करो     ये   खेल   ,कोख़   में   ताका   झांकी   का | 
जब माँ को किंचित फर्क नहीं,तो होने दो सफल फिर होनी का || 

जो  कर्म  हैं  भाग्यविधाता   का  ,तू  क्यों  कर  उसमे  विघ्न  करें | 
अन्याय  अनीति   अधर्म   पाप  ,क्यों   अपने  ऊपर    वहन करे || 

शिशु  अपना   स्वयं   भाग्य   लेकर   ,इस   पृथ्वी   पर   है आता | 
लड़का    हो   या   हो   लड़की   क्यों   ,व्यर्थ   में   अश्रु   बहाता || 

लड़की   है   आदिशक्ति   रूप   ,क्यों   उससे   द्वेष   तू रखता है | 
पुत्री   साक्षात्   है   लक्ष्मी   रूप ,फिर  क्यों  तू  मन  से  डरता है || 

फिर  क्यों  तू  मन  से  डरता है || 

_ सन्तोष कुमार तिवारी 



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