कर्म पर कविता Kavita on Karm लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
कर्म पर कविता Kavita on Karm लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 9 मई 2020

कर्म पर कविता Kavita on Karm

कर्म पर कविता 


हाँ    ब्रह्म   देव ,  ही   सृजन   करें | 
करें       विष्णु   ,  प्रभु      पालन || 

शिवा      शिवम्  ,     संहार    करें | 
सृष्टि      को   ,   रखते      कायम || 

करते त्रिदेव  , नित् अपना   कर्म | 
संसार       के    ,वे      संचालक || 

विद्या     देती     , है      सरस्वती | 
लक्ष्मी         ऐश्वर्य  ,      प्रदायक || 

करें    उदर   ,  क्षुधा   की    पूर्ति | 
अन्नपूर्णा   माँ  ,   है       सहायक || 

जल   जीवन   ,सबको     देने का | 
वरुण     देव   का,  है  अधिकार || 

मानते    जगत ,  के   जीव    जंतु | 
सब    उनका,   ये         उपकार || 

सब अन्य   देव  ,  गण  भी करते | 
अपने         कर्तव्य   ,    निर्वहन || 

फिर    हम    तो ,  है  मनुष्य मात्र | 
क्यों           घबराता ,      अंतर्मन || 

निज    कर्म    को  , धर्म मानकर | 
आगे       को   , बढ़ते        रहिये || 

भगवान      प्रभु   ,का सदा भजन | 
अन्तरमन    में   ,भजते      रहिये || 

बस  सत्य यही ,सिद्धांत जगत का | 
इसी   का   सदा, करो तुम ध्यान || 

नित्य   ,निरंतर   ,शुभ   कर्म करो  | 
बस    इसी  में ,छुपा विश्वकल्याण || 
बस     इसी  में, छुपा विश्वकल्याण ||


_ सन्तोष कुमार तिवारी 




शिव वंदना

 शिव वंदना  शिवम्   शिवे   हो  रूद्र   तुम   स्यवं      प्रबल     प्रबुद्ध   तुम , जटा      में      गंग     साजती  हैं       ...