जसुमति के वो नन्द दुलारे
है वो ब्रज के आँख के तारे
जसुमति के वो नन्द दुलारे
मोर पंख सिर मुकुट विराजे
अधरन पर मुरली वो सजे
जसुमति के वो नन्द दुलारे
वक्र कटि तट क्षुद्र घंटिका
छुन - छुन राग निकारे
जसुमति के वो नन्द दुलारे
पूतना बका अघासुर मारे
तृणावर्त राक्षस संहारे
कालिय मर्दन करि डारे
जसुमति के वो नन्द दुलारे
इन्द्र अहम् चूर करि डारे
उनके क्रोध से ब्रज को उबारे
गोवर्धन गिरि धारे
जसुमति के वो नन्द दुलारे
गोकुल छोड़ मथुरा को पधारे
कंस चाणूर आदि संहारे
पिता माता को मुक्त करि डारे
राजगद्दी पर उग्रसेन को बैठारे
मथुरा नगरी को हर्षित करि डारे
जसुमति के वो नन्द दुलारे
पांडव आदि सब मित्र तिहारे
द्रोपदी लाज के तुम रखवारे
महाभारत में सारथि बन आये
गीता ज्ञान अर्जुन को सुनाये
पापियों दुष्टो का नाश कराये
धर्म बढ़ाये अधर्म मिटाये
पुनि निज धाम वैकुण्ठ पधारे
जसुमति के वो नन्द दुलारे
_ सन्तोष कुमार तिवारी
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