रविवार, 26 अप्रैल 2020

ज़िन्दगी जिंदादिली

ज़िन्दगी जिंदादिली                       

जिंदगी   की  कसमकश  में ,जिए  जा रहा हूँ | 
गरल     नेकियों     के  , पियें    जा    रहा    हूँ||


हू   ज़िन्दा   अभी   , पियूष     कि    आश   मे |
इसलिए     ज़िन्दगी     को   , जिये  जा रहा हूँ||


ना      अपने       पराये   , मे     फर्क     किया|
जो   मिला  सब पर खुल कर, न्यौछावर किया||


लोग   फिर    भी    समझतें   , मैं    खुदगर्ज  हूँ|
पर    बता    दूँ    नहीं   , कि    मैं  कमज़र्फ हूँ||


दिल    में    सबके     लिए, दर्द    रखता   हूँ मैं|
इसलिए    मुश्किलों     से   , झगडता     हूँ  मैं||


चाहता    हूँ    कि    वे    सब   , प्रफुल्लित   रहे|
गर्दिशों         से    हमेशा    ,    सुरक्षित     रहें||


सोचना       सब    कभी ,मेरे     मंतब्य       को|
है    ये     निश्चित    कि   , पहुचोगे   गंतव्य को||


आश    उम्मीद     दिल    मे  , जलाये     रखना|
फूल    खुशियों     के    , सदा   खिलाये रखना||


संकुचित   ना    कभी  , मन   का  द्ववार करना|
हो     निडर    अडिग   , बस      आगें    बढना||
बस     आगे    बढ़ना.........

_ सन्तोष कुमार तिवारी




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