ज़िन्दगी जिंदादिली
जिंदगी की कसमकश में ,जिए जा रहा हूँ |
गरल नेकियों के , पियें जा रहा हूँ||
हू ज़िन्दा अभी , पियूष कि आश मे |
इसलिए ज़िन्दगी को , जिये जा रहा हूँ||
ना अपने पराये , मे फर्क किया|
जो मिला सब पर खुल कर, न्यौछावर किया||
लोग फिर भी समझतें , मैं खुदगर्ज हूँ|
पर बता दूँ नहीं , कि मैं कमज़र्फ हूँ||
दिल में सबके लिए, दर्द रखता हूँ मैं|
इसलिए मुश्किलों से , झगडता हूँ मैं||
चाहता हूँ कि वे सब , प्रफुल्लित रहे|
गर्दिशों से हमेशा , सुरक्षित रहें||
सोचना सब कभी ,मेरे मंतब्य को|
है ये निश्चित कि , पहुचोगे गंतव्य को||
आश उम्मीद दिल मे , जलाये रखना|
फूल खुशियों के , सदा खिलाये रखना||
संकुचित ना कभी , मन का द्ववार करना|
हो निडर अडिग , बस आगें बढना||
बस आगे बढ़ना.........
_ सन्तोष कुमार तिवारी
Very beautiful and Actually true in today's world
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