रविवार, 26 अप्रैल 2020

पंक्षी विचार

पंक्षी  विचार

सूरज    निकला    बृहंग    दलों    ने ,किया     मधुर     स्वर     गान |
करते  चहुँ   दिश   कह -कह   चह -चह ,  आपस   में   सब   बात || 

पृथ्वी    से   आकाश    तलक ,    चर्चा   है     आज     की      शाम | 
बस   हो    पराया    धन   अपना ,  सबके    मन   में    एक    बात || 

धर्म   -  अधर्म   को   नहीं   जानते ,  करते   आपस   में   सब   मार| 
कोई     मारय    कोई    काटय ,    कोई     लेकर     भागे     माल || 

कोई    रोवय    कोई     गावय ,    कोई     करता     तेज     प्रलाप | 
नहीं   किसी    की   कोई   सुनता ,  करते   आपस   में   सब  पाप || 

नहीं     जानता    है    मनुष्य ,   की    कितना    नश्वर    है     संसार | 
शांति   और   सदभाव   बनाओ ,  नहीं   हो    किसी   से   दुर्व्यहार || 

पंक्षी     गये     घोसले     में,     मन     में     करते     एक     विचार |
नहीं   जानता    है    मनुष्य ,  की    कितना    नश्वर     है      संसार || 

अरे    मनुष्य   बनो   तुम   ऐसे   ,  जग   में   कर   दो   अपना  नाम | 
वर्ना   उम्र    कटेगी    ऐसी   , कर    पाओगे    कुछ    नहि    काम || 


_ संतोष कुमार तिवारी 












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