पंक्षी विचार
सूरज निकला बृहंग दलों ने ,किया मधुर स्वर गान |
करते चहुँ दिश कह -कह चह -चह , आपस में सब बात ||
पृथ्वी से आकाश तलक , चर्चा है आज की शाम |
बस हो पराया धन अपना , सबके मन में एक बात ||
धर्म - अधर्म को नहीं जानते , करते आपस में सब मार|
कोई मारय कोई काटय , कोई लेकर भागे माल ||
कोई रोवय कोई गावय , कोई करता तेज प्रलाप |
नहीं किसी की कोई सुनता , करते आपस में सब पाप ||
नहीं जानता है मनुष्य , की कितना नश्वर है संसार |
शांति और सदभाव बनाओ , नहीं हो किसी से दुर्व्यहार ||
पंक्षी गये घोसले में, मन में करते एक विचार |
नहीं जानता है मनुष्य , की कितना नश्वर है संसार ||
अरे मनुष्य बनो तुम ऐसे , जग में कर दो अपना नाम |
वर्ना उम्र कटेगी ऐसी , कर पाओगे कुछ नहि काम ||
_ संतोष कुमार तिवारी
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