शनिवार, 2 मई 2020

Labour day मजदूर दिवस


मजदूर दिवस 




लेते     सब    जन्म    मनुष्य    बनकर|


फिर    लेबर    नौकर    कहते    सब||


खड़ा     करता     वह    शीश    महल|


जिसको    अपना    घर    कहते   सब||


निज    खून    पसीना    बहा   -   बहा |


वह   चुन  -   चुन    महल   बनाता  है||


फिर    भी   असहाय    आश्रय   विहीन|


वह      गृह     बंचित      कहलाता    है||


आश्रय     घर      रोटी      कपड़ा      हो|


इन     शोषित     बंचित     मानव    को|


संज्ञा  समाज ने दी जिसको है लेबर की||


उत्थान        विकास       जब      होगा |


उस  अंतिम   पंक्ति   के   मानव   का ||


तब    अभियान    सफल    पूर्ण   होगा|


फिर     लेबर    दिवस    मनाने     का||



_ सन्तोष कुमार तिवारी




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