परिवार
परिवार सदा , बनता फलता |
दिल से दिल ,जुड़ जाने पर ||
विश्वास त्याग ,ममता संतोष |
सबके हृदयो, में आने पर ||
होती अदृश्य , डोर से बँधी |
परिवार सदस्यों , के सम्बन्ध ||
बांधे रखती ,सबको सर्वथा |
प्रेम कुसुम ,की यह सुगंध ||
घर का मुखिया ,सिंचित करता |
जड़ पत्ती -पत्ती ,डाली -डाली
देता सिंचित , करने में बहा |
वह खून पसीना ,कर खाली ||
थाली में सबके , हो भोजन
इसका प्रबंध ,वह करता है ||
निज सुख इच्छा ,का करके त्याग |
परिवार के , लिए जूझता है ||
सो करो सम्मान,घर के मुखिया का |
दो आदर और, सत्कार अपना ||
परिवार को ,रखो खुश अपने |
दो सदा -सदा, योगदान अपना ||
_ सन्तोष कुमार तिवारी
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