बदल गया संसार
बदल गयी ज़मी , ये आसमा बदल गया |
आबो हवा बदल गयी, शामे सुबह बदल गया ||
खगो के बोल बदल गये,जनो के रोल बदल गये |
जब घर बदल गये, तो संसार बदल गया|
लोगो की भावनाये, और इमान बदल गया ||
शान्ति बदल गयी , ब्वहार बदल गया |
मै और क्या बताऊ,सब संसार बदल गया ||
बदलाव करो बस्तु का , प्रकृति का नही|
सब दिल मिला के रहना, एक छत के नीचे||
बदलाव से न , बाट की लकीर न खीचो...
_ सन्तोष कुमार तिवारी
Very beautiful poem
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