भगवान वन्दना
हे दिगदिगंत, हे शक्तिमान|
हे सार्वभौम, सामर्थवान||
बहता अविरल, अनवरत ज्ञान|
चहुदिश चंचल चलायमान|
है चक्षु चपल, चंचरिक सम||
कोमल चितवन,चहु ओर मुदित मन|
करते नित वंदन, देव मनुज जन ||
हे परमानन्द , सच्चिदानंद प्रभु|
तुमसर्व समर्थ,कण -कण में व्याप्त||
लो बचा जगत, करो कष्ट समाप्त|
करो करुणा दया,अब जन-जन पर||
आखिर सब है, तेरी सन्तान|
करो सर्व जगत, का तुम कल्याण||
करो सर्व जगत, का तुम कल्याण||
_ सन्तोष कुमार तिवारी
Beautiful poem
जवाब देंहटाएंThanks a lot
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